अमालिका प्रदेश में एक राजा राज्य करता था जिसका नाम 'बलेद बिन् माअब' था। अमालिका के सभी राजाओं को 'फिर्ओन' कहा जाता था। जब इस फिओन के हाथ में मिस्र का राज्य आया तो यह दौलत के नशे में पागल हो उठा और यह कहकर कि खुदा कोई चीज़ नहीं है, मैं ही सब-कुछ हूँ, रिआया से अपने को सिज़दा करने के लिए कहने लगा। कुतुबियों ने तो खुशी-खुशी फिर्ओन के सामने मस्तक नमा दिए, लेकिन बनी इसराईलों ने मस्तक नमाने से इनकार कर दिया। अब फिर्ओन बनी इसराइलों से नाराज़ रहने लगा। वह किसी बनी इसराइल से मैला उठवाता, किसी से पत्थर तुड़वाता। सारांश यह कि वह उनसे ऐसे घृणित और कठोर काम लेता जिन्हें वे कर भी न पाते।
एक रात अचानक फिर्ओन को सपना दीखा कि एक आग शाम देश की ओर से आई है और उसने उसके और दूसरे कुतुबियों के घरों को एकदम जला दिया है। सुबह होने पर उसने ज्योतिषियों से अपने इस सपने का फल पूछा। उन्होंने बतलाया कि आज रात को बनी इसराईल खानदान में एक ऐसा गर्भ रहेगा जो पैदा होकर तेरी जान को लेने वाला बनेगा। यह सुनकर तो फिर्ओन के पाँवों के नीचे से मिट्टी खिसकने लगी।
उसने हुक्म दे दिया कि बनी इसराईल में से आज रात के लिए मर्द-मर्द तो अमुक मैदान में इकट्ठे हो जाएँ और उनकी स्त्रियाँ घरों से बाहर न जा सकें। ऐसा ही हुआ, शहर-भर के सब बनी इसराईल मर्द मैदान में इकट्ठे कर लिए गए और स्त्रियों को घरों में छोड़ दिया गया, लेकिन फिर्ओन का अंगरक्षक, जिसका नाम इमरान था, वह भी बनी इसराईल ही था। उसके अलग करने का किसी को ध्यान तक न आया। वह रात को अपनी स्त्री के साथ रहा और उसी रात हज़रत मूसा ने इमरान की स्त्री के गर्भ में प्रवेश किया। दूसरे दिन फिर ज्योतिषियों को बुलाया गया तो उन्होंने आसमान पर पैग़म्बर के गर्भ-प्रवेश का तारा देखा। कहते हैं कि जिस दिन पैग़म्बर गर्भ में प्रविष्ट होता है उसी रात में उसका सितारा चमक उठता है।
सितारा देखकर ज्योतिषियों ने फिर्ओन से कहा-"तू इन्तज़ाम ठीक नहीं रख सका। तेरी जान लेने वाला गर्भ में प्रवेश पा चुका है।"
इसके बाद उन पर किसी प्रकार का सन्देह नहीं किया गया और वह स्वतन्त्रतापूर्वक राजघराने में निवास करने लगे। अब सब लोग उन्हें फिर्ओन का लड़का कहकर ही पुकारते।
हज़रत मूसा की अवस्था लगभग बीस वर्ष हुई तो उन्होंने इसराईल के उद्धार के लिए कमर कस ली और छुप-छुपकर लोगों को समझाने-बुझाने लगे। उनको पर्यटन का बेहद शौक था। एक दिन वह जंगल की ओर जा रहे थे तो देखते क्या हैं कि एक 'कुतबी' किसी 'बनी इसराईल' के सिर पर लकड़ियों का भारी गट्ठर रखे हुए चला आ रहा है। बोझ से तंग आकर बेचारे बनी इसराईल ने गट्ठर ज़मीन पर पटक दिया। इस पर कुतबी मारे क्रोध के लाल हो गया और बनी इसराईल को मारने को तैयार हुआ। तभी बनी इसराईल ने हज़रत मूसा को उधर से आता देख दुहाई मचाना शुरू कर दिया।
हज़रत मूसा झपटकर वहाँ पहुँचे और कुतबी के ज़ोर से ऐसा घुसा मारा कि उसने वहीं तड़प-तड़पकर प्राण दे दिए।
फिर्ओन को इस दुर्घटना का पता चला तो उसने हज़रत मूसा की हाज़िरी का हुक्म दिया। हज़रत ने अपने दोस्तों से सलाह की कि अब क्या करना चाहिए?
हज़रत मूसा मंजिल पर मंजिल तय करते हुए दूर पर्वत के पास पहुँचे तो घटा, मेह और तूफान उमड़ आए जिससे बहुत अधिक सर्दी हो गई। सर्दी दूर करने के लिए इन्हें आग की आवश्यकता हुई तो इन्होंने इसकी खोज में चारों ओर घूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में यह देखते हैं कि पहाड़ के ऊपर बड़ी तेज आग चमक रही है। यह कुछ घास-फूस लेकर उसे सुलगाने के लिए दौड़े और जहाँ आग जल रही थी वहाँ पर घास-फूस रख दिया। लेकिन वह आग वृक्ष पर चढ़ गई। उन्होंने भी वृक्ष पर चढ़ना चाहा, लेकिन आग दूसरे वृक्ष पर चली गई। यह विचित्र घटना देखकर इनके मन में अनेक तरह के विचार उठने लगे। तभी किसी ने चिल्लाकर पुकारा-
"ऐ, मूसा!"
इन्होंने कहा-"हाँ!"
लेकिन इन्हें कोई और नज़र न आया। अब यह बहुत भयभीत हुए और कहने लगे-"कौन है जो आवाज़ देता है और अपने को जाहिर नहीं करता?"
इसके उत्तर में इन्हें सुनाई दिया-“हे मूसा!
निश्चय ही मैं अल्लाह हूँ। तेरा और सारे जहाँ का मालिक हूँ। अब तू अपने जूते उतार दे; क्योंकि इस समय तू पवित्र पृथ्वी पर आ खड़ा हुआ है।" यह सुनते ही हज़रत मूसा ने अपने जूते उतार फेंके और एकदम सिज़दे में झुक गए। फिर खुदा ने कहा-"आज से मैंने तुझे पैग़म्बरी अता की। तू यहाँ से सीधा मिस्र जा और फिर्ओन को आस्तिक बनाने की कोशिश कर, नहीं तो इसराइलों को वहाँ से निकाल ला।"
खुदा की आज्ञानुसार हज़रत मूसा ने फिर्ओन से जाकर कहा-"मैं पैग़म्बर हूँ। तुम मुझ पर ईमान लाओ।"
इस पर फिर्ओन ने जवाब दिया-"क्या तू वही मूसा नहीं है, जो कल तक मेरा बेटा कहलाता था?
A bio of gloria vanderbuiltकल तो तू यहाँ से अपनी जान लेकर भागा था और आज पैग़म्बर बनकर आ गया!"
कहते हैं कि इस पर हज़रत मूसा ने अपनी लाठी पटकी। यह लाठी फौरन अजगर बन गई। इस अजगर के सात सौ दांत और हाथियों जैसे पाँव थे। इसके सारे बदन पर बछियों जैसे बाल थे। यह अजगर फौरन फिर्ओन पर झपटा। फिर्ओन ने हज़रत मूसा से प्रार्थना की-"मुझे इस बार बचा लो, मैं जरूर ईमान ले आऊँगा।"
हज़रत मूसा ने अजगर को हाथ में उठाया तो वह पहले की तरह फिर लाठी बन गया। इसी तरह हज़रत ने और भी कई चमत्कार दिखलाए, लेकिन वह धूर्त फिर भी ईमान न लाया। तब हज़रत मूसा ने उचित समझा कि 'बनी इसराइलों' को यहाँ से निकाल ले चलूँ। एक रात में इन्होंने सब बनी इसराइलों को लेकर कूच बोल दिया। जब वे कुछ दूर निकल गए तो फिर्ओन को उनके चोरी से भाग निकलने का समाचार मालूम हो गया। उसने कई लाख सवार और पियादे लेकर कुल्ज़म नदी के इसी पार उन्हें जा घेरा। लेकिन हज़रत मूसा ने अपनी लाठी नदी के पानी में मारी तो उसी दम पानी के दो टुकड़े हो गए और बीच में सूखा रास्ता बन गया। बात-की-बात में हज़रत मूसा और सब बनी इसराईल रास्ते में से होते हुए उस पार निकल गए।
यह सब-कुछ देखकर फिर्ओन बहुत घबराया। उसने चाहा कि वह भी नदी पार कर जाए ; लेकिन देखते-ही-देखते पानी के दोनों हिस्से फिर मिल गए और पानी में घुसने का साहस फिर्ओन न कर सका। लेकिन खुदा तो उसको डुबाना ही चाहता था। इसलिए खुदा के हुक्म से जिब्राईल एक घोड़ी पर सवार होकर फिर्ओन के घोड़े के सामने आकर खड़े हो गए। घोड़ा घोड़ी को देखते ही भड़क उठा और फिर्ओन के काबू से बाहर हो गया। यह देखकर हज़रत जिब्राईल ने अपनी घोड़ी को दरिया में छोड़ दिया और उसके पीछे-पीछे फिर्ओन का घोड़ा और उसके पीछे तमाम शाही लश्कर भी दरिया में कूद पड़ा। हज़रत जिब्राईल तो अपनी घोड़ी कुदाते हुए बच निकले किन्तु फिर्ओन और उसके सब साथी वहीं डूब गए।
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